Part-1
संयुक्त राज्य अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव-2020
"अमेरिका की बागडोर अब जो बाइडेन के हाथ में आती तय लग रही है"
अमेरिका में 1789 से राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है। जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे। रिपब्लिकन पार्टी के 45 वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का 4 वर्ष का कार्यकाल 2020 में ही समाप्त हो रहा है और अब 1942 में जन्मे डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बिडेन अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति होंगे यह तय लग रहा है।
बाइडेन पूर्व अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में 2009 से 2017 तक अमेरिका के उप राष्ट्रपति रहे।
■ क्या एजेंडा है डेमोक्रेटिक पार्टी का?
अमेरिका में दो ही राजनीतिक पार्टियों का वर्चस्व है। एक डेमोक्रेटिक या उदारवादी पार्टी दूसरी रिपब्लिकन या ग्रांड ओल्ड पार्टी। अमेरिका में अब तक 45 में से 14 राष्ट्रपति डेमोक्रेटिक पार्टी के चुने जा चुके है। डेमोक्रेटिक पार्टी के पहले और अमेरिका के 7 वें राष्ट्रपति एंड्रू जैक्सन थे जिनका कार्यकाल 1829 से 1837 तक रहा। अभी हाल ही के डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति बराक ओबामा रहे है जिनका कार्यकाल 2009 से 2017 तक रहा।
अमेरिका में जॉब्स में कार्यरत लोग, स्नातक विद्यार्थी वर्ग, युवा एवं अल्पसंख्यक वर्ग, एलजीबीटी वर्ग के लोग पार्टी का पुरजोर समर्थन करते हैं।
पार्टी अपने दर्शन में उदारवादी है एवं नागरिक स्वतंत्रता, सामाजिक समानता, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा, समान अवसर, उपभोक्ता संरक्षण की वकालत करती है। साथ ही पार्टी एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों, क्रिमिनल जस्टिस, गैर अमेरिकन प्रवासियों के हितों की सुरक्षा के लिए भी स्वर उठाती रही है। इस बार पार्टी ने अमेरिकन इकॉनमी को ऊपर उठाने का एजेंडा प्रमुखता से रखा है।
पार्टी ट्रम्प के रिपब्लिकन पार्टी के 'अमेरिकन फर्स्ट' के अतिराष्ट्रवाद का विरोध करती है तथा हाल ही में कोविड महामारी के प्रति ट्रम्प के ढुलमुल रवैये से खफा थी। कड़ी टक्कर में ट्रम्प को इसी का नुकसान हुआ।
■ कैसा सफर रहा है जो बिडेन का?
1942 में जन्मे जो बिडेन 1968 में सायराक्यूज यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। वे 1970 से अमेरिकन राजनीति में सक्रिय रहे है। 1972 में उनका यूएस सीनेट में चयन हो गया। बाद में वे सीनेट विदेशी संबंध समिति के सदस्य एवं चेयरमैन भी रहे।
उन्होंने 1991 में खाड़ी युद्ध का विरोध किया लेकिन नाटो के विस्तार का समर्थन किया। इसी तरह उन्होंने 'आपरेशन इराकी फ्रीडम' का समर्थन किया लेकिन वहाँ यूएस आर्मी के लगातार जमावड़े का विरोध किया। इसी तरह उन्होंने विश्व के कई हिस्सों में अमेरिकन दखल का समर्थन किया लेकिन पार्टी की नज़र में मानवाधिकार हनन होने पर विरोध भी किया।
1987 से 1995 तक बिडेन सीनेट ज्यूडिशरी समिति के चेयरमैन रहे। इस काल में उन्होंने महिला अधिकारों, मानव अधिकारों को लागू करने के लिए खूब कार्य किया। वे 6 बार सीनेट सदस्य चुने गए। अफ्रीकन अमेरिकन मूल की कमला हैरिश उनकी पार्टी की 'रनिंग मैट' या वाईस प्रेसिडेंट प्रतिनिधि रही।
बिडेन युवावस्था में थोड़े हकलाते थे लेकिन उन्होंने एकान्त में कविताएं पढ़ पढ़ कर अपना उच्चारण सुधारा।
जब उन्होंने स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की, उनकी 688 विद्यार्थियों में 506 वीं रैंक थी। तथा कानून की डिग्री में 85 स्टूडेंट्स में 76 वीं रैंक हासिल की। वे पढ़ने में ज्यादा अच्छे नहीं थे लेकिन आम वर्किंग क्लास लोगों में घुलने मिलने के कारण वे खासे लोकप्रिय हो गए।
उनकी युवावस्था में एक सड़क दुर्घटना में उन्होंने अपनी पत्नी को , बेटी को खो दिया तथा एक पुत्र का पैर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जीवन के उस दौर में उनका ईश्वर पर से विश्वास उठ गया परन्तु अपने जीवट व्यक्तित्व के कारण वे मुश्किल दौर से उबर गए।
■ भारत के प्रति कैसे होंगे बिडेन?
हालांकि ये तो वक्त बतायेगा लेकिन ऐसा लगता है कि वे बराक ओबामा शैली का अनुसरण करेंगे। लेकिन यह तय है कि भारत की सार्वभौमिक मूल्यों के अनुसरण की नीति के वे स्वयं अनुगामी है। अमेरिका अपने सम्बन्ध तय करते समय अपना स्वार्थ सबसे आगे रखता है। बहरहाल भारत वर्तमान में खुद एक सक्षम एवं शक्तिशाली राष्ट्र है। भारत से अच्छे सम्बन्ध किसी भी बड़े राष्ट्र के लिए हर प्रकार से हितकारी होते हैं।
■ अमेरिकन राष्ट्रपति चुना कैसे जाता है?
नवंबर, 2020 में नए अमेरिकन राष्ट्रपति का चुनाव हो चुके हैं। वहाँ राष्ट्रपति के पास भारतीय प्रधानमंत्री की तरह सारी शक्तियां होती है साथ ही वह सेना का भी सर्वेसर्वा होता है। वहाँ राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष का होता है तथा कोई भी राष्ट्रपति दो कार्यकाल पूरे कर सकता है। 1951 में हुए एक संविधान संशोधन के कारण कोई भी राष्ट्रपति दो से अधिक कार्यकाल के बाद राष्ट्रपति नहीं बन सकता। उसे अप्रत्यक्ष पद्धति से चुना जाता है।
राष्ट्रपति का चुनाव पाँच चरणों में होता है। इन पांचों चरणों को समझने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि अमेरिका में दो ही पार्टियां प्रमुख है:-
1.डेमोक्रेटिक या उदारवादी पार्टी
2.रिपब्लिकन या ग्रांड ओल्ड पार्टी।
अन्य पार्टियां अस्तित्व में है लेकिन बहुत छोटी।
राष्ट्रपति का चुनाव निम्नलिखित पाँच चरणों में होता है
1. प्राइमरी या कॉकसेस चुनाव
2. राष्ट्रीय कन्वेंशन
3. जनरल चुनाव
4. इलेक्टोरल कॉलेज
5. समारोह
1. प्रथम चरण: प्राइमरी या कॉकसेस चुनाव
अमेरिका के सभी छोटे बड़े 50 राज्यों में आम जनता (18+ उम्र के वोटर) राष्ट्रपति को वोट देने के लिए अपने प्रतिनिधि वोट डाल कर चुनते है यह प्राइमरी प्रक्रिया कहलाती है।
कुछ स्टेट्स में प्राइमरी प्रक्रिया को ही कॉकसेस कहा जाता है वहां स्टेट छोटा होने के कारण आम सभा में लोगों से हाथ खड़े करवा कर ही राष्ट्रपति को आगे वोट देने हेतु प्रतिनिधिमंडल चुन लिया जाता है।
2016 के चुनाव में इस प्रक्रिया से दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल की स्थिति इस प्रकार से थी।
1. डेमोक्रेटिक पार्टी =4763
2. रिपब्लिकन पार्टी= 2472
लेकिन यहाँ की संख्या से जीत का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। क्योंकि ये चुने हुए लोग केवल अपनी पार्टी का प्रेजिडेंट एवं वाईस प्रेजिडेंट चुनते हैं।
2. द्वितीय चरण: राष्ट्रीय कन्वेंशन
ऊपर प्राइमरी एवं काकस प्रक्रिया द्वारा चुने हुए लोग अपना राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति प्रतिनिधि चुनते हैं।
3. तृतीय चरण: जनरल चुनाव
अमेरिका के सभी 50 राज्यों से 538 सदस्यों का एक 'इलेक्टोरल कॉलेज' आम जनता द्वारा चुना जाता है। प्रमुख पार्टियां इसमें अपना प्रतिनिधि खड़ा करती हैं। 270 का आंकड़ा बहुमत के लिए चाहिए होता है। वहीं पर तय हो जाता है कि राष्ट्रपति कौन बनेगा।
इस चुनाव से पहले कुछ प्रमुख टी वी डिबेट्स को देशभर में प्रमुखता से देखा जाता है वहीं पर जनता अपनी राय बनाती है।
4. चतुर्थ चरण: इलेक्टोरल कॉलेज
चुने हुए 538 सदस्य प्रेजिडेंट एवं वाईस प्रेजिडेंट को अपना वोट देकर चुनते हैं। अमरीकन कांग्रेस (अमेरिका की संसद को 'कांग्रेस' कहा जाता है। उसके निम्न सदन को हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव तथा उच्च सदन को सीनेट कहा जाता है।) की देखरेख में यह पूरी प्रक्रिया होती है जबकि वे इलेक्टोरल प्रतिनिधि नहीं होते हैं। 270 का बहुमत जिसको मिलता है वह राष्ट्रपति बनता है।
5. पंचम चरण: समारोह
नए राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करना एवं पुराने द्वारा अपना ऑफिस सौपनें का काम इस प्रक्रिया में होता है।
इस बार के चुनाव के परिणाम ने इंतजार कुछ लंबा ही कर दिया। रिपब्लिकन पार्टी अंतिम 6 बाल पर 6 छक्के लगा दे ऐसा सम्भव नहीं लग रहा है।
अमेरिका की जनसंख्या लगभग 34 करोड़ है जो विश्व का 4.25% ही है लेकिन दुनियां के लगभग 4 प्रतिशत लोग दुनिया का तथाकथित सबसे शक्तिशाली व्यक्ति चुनते हैं।
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