किसान रेल योजना
“किसानों की आय तथा भारतीय कृषि के अर्थशास्त्र को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम” - पीएम मोदी
• केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल की मौजूदगी में 100 वीं किसान रेल को प्रधानमंत्री द्वारा (वर्चुअल) हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
• संगोला, सोलापुर (महाराष्ट्र) से शालीमार, (पश्चिम बंगाल) तक।
• पहली किसान रेल - अगस्त, 2020 में देवलाली, (महाराष्ट्र) और दानापुर, (बिहार) के बीच।
• यह नया प्रयोग पहियों पर चलता एक कोल्ड स्टोरेज है। क्योंकि,अक्सर कोल्ड स्टोरेज अभाव के चलते किसानों को नुकसान पहुँचता है।
• फल, सब्जियां, दूध, मछली जैसी वस्तुएं अब एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित रूप से पहुंचाई जा सकती हैं।
• पीएम के अनुसार यह प्रयोग कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ यानि 80% छोटे और सीमांत किसानों को नए और बड़े बाजारों तक पहुंच प्रदान करेगा।
• केंद्र की नीतियां अपने उद्देश्य में स्पष्ट और पारदर्शी हैं।
• आधुनिक कृषि की राह में घोषणाएं पहले ही बजट में की गई थीं, जिसमें 'किसान रेल सेवा’ और ‘कृषि उड़ान योजना’ की परिकल्पना की गई थी।
नई संभावनाएं :-
• भारतीय किसानों की पहुँच देश के भीतर दूर-दराज स्थानों सहित अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक होगी।
• शुरुआत में ‘किसान रेल’ सप्ताह में एक बार लेकिन बढ़ती मांग के चलते अब सप्ताह में तीन बार चलायी जा रही हैं।
• उत्तर भारत में किसान पहले से ही ‘कृषि उड़ान योजना’ से लाभान्वित हो रहे हैं।
• सड़कों के माध्यम से अपनी उपज का परिवहन किसानों के लिए महंगा साबित होता था।
• अब, वह इस सेवा में केंद्र द्वारा विस्तारित फलों और सब्जियों पर 50% की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।
• पश्चिम बंगाल के किसानों और मछुआरों को महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, पुणे में एक बड़ा बाजार मिल सकता है।
• वही महाराष्ट्र के किसानों को पश्चिम बंगाल के बाजारों में अपनी उपज बेचने के लिए एक सस्ता विकल्प मिल गया है।
Achha likhe ho yaar
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