अलवर स्थापना दिवस
👉अरावली की पहाडियों के मध्य बसा राजस्थान का सिंह द्वार अलवर। दिल्ली से 150 किमी दक्षिण और जयपुर से 150 किमी उत्तर में स्थित अलवर राजस्थान के जयपुर अंचल तथा भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र के अंतर्गत आता है। अलवर कई किलों, झीलों, हेरिटेज हवेलियों और प्रकृति भंडार के साथ पर्यटन का एक केंद्र है। प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इस ऐतिहासिक क्षेत्र की स्थापना महाराजा प्रताप सिंह द्वारा वर्ष 1775 में आज ही के दिन की गयी थी।
◆प्राचीन नाम :-
- मत्स्यनगर, अरवलपुर, उल्वर,शाल्वापुर, हलवार।
◆क्षेत्रफल :- 8,380 वर्ग किमी.
◆कुल जनसंख्या :- 36,74,179
◆घनत्व :- 7000 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.
◆शासकीय निकाय :- नगर पालिका परिषद
◆तहसीलें :-16
➡️इतिहास : माना जाता है की सन् 1049 में यह अलपुर गांव हुआ करता था और आमेर के राजा के अधीन था। बाद में अलवर नाम देकर फिर से बसाया गया।
➡️गांव से लेकर मुगल शासकों विभिन्न राजपूत शासकों, ब्रिटिश इंडिया और फिर लोकतंत्र का सफर तय करते हुए इस शहर ने ज़िन्दगी के विभिन्न रंग देखे है। मगर लोकतन्त्र की शरण में ही अलवर ने सबसे ज्यादा उन्नति की। अलवर को मेव राजपूत नाहर खा के वंसज अलावल खां ने अपनी राजधानी बनाया, जिनके नाम पर ही इस शहर का नाम अलवर हुआ। अलवर क्षेत्र राजपूत शाखाओं के प्रभुत्व के तहत राठ क्षेत्र, वई क्षेत्र, नरुखंड़ एवं मेवात क्षेत्रों में विभाजित था।
➡️पर्यटन स्थल:-
- फतहगंज गुंबद, पुर्जन विहार, कम्पनी बाग़, सिटी पैलेस, विजय मंदिर झील महल, जयसमन्द झील, बाला किला, सिलीसेढ़ झील इत्यादि।
➡️अलवर की पहचान:-
- विश्व प्रसिद्ध भानगढ़ का किला एवं सरिस्का बाघ अभ्यारण्य।
➡️पहनावा:-
- अलवर में परम्परागत धोती- कुर्ता तथा साफा पुरुषों का और लहंगा-लूगड़ी स्त्रियों का पहनावा हैं।
➡️सगीत:-
- अलवर में भपंग वाद्ययंत्र राजस्थानी लोकगीत की पहचान है। यह मेवाती संगीत संस्कृति की धरोहर है।
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