विश्व कुष्ठ दिवस
(World Leprosy Day)
थीम 2021 : “बीट लेप्रोसी, एंड स्टिग्मा एंड एडवोकेट फॉर मेंटल वेल-बीइंग”
•दुनिया में विश्व कुष्ठ दिवस हर वर्ष जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। अत: इस वर्ष यह दिवस 31 जनवरी के दिन है।
•भारत में, विश्व कुष्ठ दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है।
• रोगजनक जीवाणु- माइक्रोबेक्टीरियम लैप्री जीवाणु
शुरुआत :-
•1954 में फ्रांसीसी पत्रकार और कार्यकर्ता राउल फोलेरेओ द्वारा की गई थी।
उद्देश्य :-
•कुष्ठ रोग नामक बीमारी की चिकित्सा एवं समाजहित में रोग से प्रभावित व्यक्तियों के अधिकारों को शामिल करते हुए इससे जुड़ी प्राचीन भ्रांतियों को दूर कर इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना।
•भ्रांतिवश बहुत से लोग इसे विलुप्तप्राय: मानते है जो कि इस रोग के प्रति समाज की अनदेखी है।
कैसे मनाया जाता है :-
•विश्व कुष्ठ दिवस के लिए सोशल मीडिया अभियान, सामुदायिक परेड, स्कूल प्रोग्रामिंग और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
क्या है कुष्ठ रोग :-
•मुख्य रूप से त्वचा, तंत्रिकाओं, ऊपरी श्वसन पथ के म्यूकोसा और आंखों को प्रभावित करता है।
•लक्षण दिखाई देने में नौ महीने से 20 साल तक का समय लग सकता है।
•यह रोग अत्यधिक संक्रामक नहीं है परन्तु अनुपचारित संक्रमित लोगों के साथ लगातार निकटता व संपर्क से प्रेषित हो सकता है। कुष्ठ रोग लाइलाज नहीं है अत: तुरंत उपचार से खतरे की संभावना खत्म की जा सकती है।
UNO के दिशा-निर्देश :
•वर्ष 2010 - संयुक्त राष्ट्र महासभा और मानवाधिकार परिषद ने कुष्ठ रोगियों व उनके परिवारों से होने वाले भेदभाव के उन्मूलन हेतु सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को अपनाया जो कि इस बारे में राष्ट्रीय सरकारों को जिम्मेदार बनाते हैं। इसके तहत विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन में निर्दिष्ट अधिकारों (सीआरपीडी) को दर्शाया गया है।
•इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एंटी-लेप्रोसी एसोसिएशंस, ILEP) का तर्क है कि कुष्ठ रोग से संबंधित विकलांग लोग को गहन समर्थन की आवश्यकता है।
•वर्ष 2018 के डेटा के अनुसार 127 देशों में से 80% मामलें भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया से आते हैं।
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