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Psychology (मनोविज्ञान)


Psychology

(मनोविज्ञान)



ग्रीक भाषा के शब्द :- Psyche (आत्मा) + Logas (To Study) (विज्ञान) 


➤ शताब्दीयों पूर्व मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र की एक शाख के रूप में जाना जाता था।


➤ उस समय 300 ई.पू. अरस्तु ने पुस्तक लिखि - D - एनिमा एवं इस पुस्तक में उन्होंने मनोविज्ञान की सर्वप्रथम चर्चा की।


➤ इसी पुस्तक में उन्होंने न्यूमा/ (प्राणवायु) की शुद्ध की बात की - कि यदि समाज को स्वस्थ रखना है तो न्यूमा को शुद्ध करना जरूरी है। इसलिए अरस्तु को मनोविज्ञान का जनक कहते हैं।


➤ मनोविज्ञान को विकास की दृष्टि से 4 भागो में बाँटा गया - 


1. आत्मा का अध्ययन/विज्ञान :- 


समर्थक – अरस्तु, प्लेटो, लेकार्ट, रूडोल्फ गोइक्लर 

इस अवस्था के मानने वाले विचारको का मानना कि मनोविज्ञान में केवल आत्मा का अध्ययन किया जा सकता है।

➤ इस क्रम मे अरस्तु के विचार मुख्य है। साथ ही साथ 1590 में रूडोल्फ गोइक्लर के द्वारा "Psychologia" पुस्तक लिखी गई।

➤ यह मनोविज्ञान की प्रथम पुस्तक मानी जाती है। इसी पुस्तक में गाईनकलर Psychology ने शब्द दिया।

➤ यह मत अमान्य हो गया। (आत्मा को देखा, छूआ नहीं जा सकता) 


2. मन का अध्ययन :-


सर्मथक - पेम्पोलॉजी, टामस रीड़

इसको मानने वाले यह कहते थे कि यह विषय केवल मन का अध्ययन कर सकता है। किन्तु कुछ समय पश्चात यह विचार भी अमान्य हो गया क्योंकि मन अस्थिर होता है।



3. चेतना का अध्ययन :- 


समर्थक - William wount, William James, टिचनर, जेम्स ली

इस अवस्था को संरचनावाही अवस्था माना जाता है। क्योंकि इसी अवस्था मे मनोविज्ञान के लिए संरचना दी गई।

➤ ठस अवस्था मे मनोविज्ञान, दर्शन से अलग होकर स्वंतत्र स्वरूप मे आ गया। 

➤ फ्रायड ने मस्तिष्क की तुलना एक हिमखंड से की है। जिसका पानी पर तैरता भारा - चेतन व पानी में डूबा हुआ - अचेतन है, बीच मे मध्यपरत - अर्घचेतन। 

➤ इन्हीं आलोचनाओ के कारण चेतना का अध्ययन भी अमान्य हो गया।


4. व्यवहार का अध्ययन :-


1913 में वॉटसन के द्वारा व्यवहारवाद का सर्मथन किया गया एवं सर्वप्रथम व्यवहार की परिभाषा वॉटसन के द्वारा दी गई।


➤ व्यवहार – “उदीपन के प्रति अनुक्रिया" इसी आधार पर वॉटसन को व्यहारवाद का जनक कहा गया।

➤ वॉटसन को पर्यावरणवादी भी कहते हैं क्योंकि वह यह मानते थे कि वातावरण के द्वारा ही किसी बालक के व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है। 

➤ वॉटसन - "तुम मुझे कोई भी बालक दो, मैं उसे वैसा ही बना सकता हूँ, जैसा मैं चाहता हूँ| चाहे वकील या डॉक्टर चाहे चोर या डाकू।" 

➤ वॉटसन को मनरहित मनोविज्ञान का जनक भी कहते हैं। क्योंकि उनका मानना था, व्यवहार के समय मन की भूमिका नगन्य होती है। 

समर्थक - स्कीनर, थार्नडाइक, हल


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